'सिस्टम को साफ कर दीजिए...' बैड लोन से निपटने के लिए अरुण जेटली ने रघुराम राजन से क्या कहा था? पूर्व गवर्नर ने किया खुलासा
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'सिस्टम को साफ कर दीजिए...' बैड लोन से निपटने के लिए अरुण जेटली ने रघुराम राजन से क्या कहा था? पूर्व गवर्नर ने किया खुलासा

RBI: रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत में वैश्विक वित्तीय संकट के अलावा भ्रष्टाचार और योजनाओं में देरी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया.

'सिस्टम को साफ कर दीजिए...' बैड लोन से निपटने के लिए अरुण जेटली ने रघुराम राजन से क्या कहा था? पूर्व गवर्नर ने किया खुलासा

Raghuram Rajan: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में खुलासा किया है कि कैसे 2015 में शुरू की गई 'एसेट क्वालिटी रिव्यू' (AQR) ने बैड लोन को कम करने में मदद मिली. कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकार के दौरान (2013 से 2016 तक) RBI के गवर्नर रहे राजन ने आगे बताया कि इस पहल को लेकर उनकी तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से चर्चा हुई थी.

ऑनलाइन पोर्टल द प्रिंट को दिए इंटरव्यू में राजन ने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली ने एसेट क्वालिटी रिव्यू को हरी झंडी देते हुए कहा था कि सिस्टम को साफ कर दीजिए.

समय पर कदम उठाना जरूरी: राजन

राजन ने बताया कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद भारत में कई परियोजनाएं शुरू की गईं, लेकिन भ्रष्टाचार और भूमि व पर्यावरणीय मंजूरियों में देरी के कारण ये परियोजनाएं फंस गईं. इस वजह से भारतीय बैंकों की बैलेंस शीट पर गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPAs) का भार बढ़ने लगा. उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए समय पर कदम उठाना जरूरी था.

उन्होंने आगे कहा कि इस प्रक्रिया से पहले बैंकों को एनपीए घोषित करने में एक तरह की छूट दी गई थी. इसके कारण बैंकों ने इन खराब कर्जों को अपनी बैलेंस शीट में दर्ज नहीं किया, जिससे समस्या और गंभीर हो गई.

प्रोजेक्ट में देरी से मामला फंसा

राजन ने जेटली से अपनी चर्चा को याद करते हुए कहा, "उन्होंने मुझसे कहा, 'ठीक है, इसे शुरू कीजिए.' हमने इसे लागू किया, लेकिन इसमें सरकार द्वारा बैंकों को पुनर्पूंजीकरण (कैपिटल डालने) की आवश्यकता थी. दुर्भाग्य से, यह प्रक्रिया तेज गति से नहीं हो पाई, जिसके कारण बैंकों के लिए फिर से लोन देना मुश्किल हो गया."

राजन ने कहा कि भारत में वैश्विक वित्तीय संकट के अलावा भ्रष्टाचार और योजनाओं में देरी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया. उन्होंने एक किस्सा साझा किया कि कैसे एक बैंकर ने एक उद्यमी के पीछे खाली चेक लेकर भागा था, क्योंकि संकट से पहले परियोजनाएं सफल हो रही थीं. लेकिन संकट के बाद परियोजनाओं में देरी और वित्तीय समस्याओं ने इन ऋणों को एनपीए में बदल दिया.

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